जिसने राग द्वेष कामादिक जीते सब जग जान लियासब जीवोको मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दियाबुध्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रम्हा, या उसको स्वाधीन कहोभक्ति-भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो ||1||