दादा तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं
यही सोचकर अपने दोनों नैन भीगोते है
कभी तो तस्वीर से निकलोगे
कभी तो भेरू दादा पिघलोगे
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Tagged 'jain stavan'
21 सितंबर, 2022