प्रस्तावना
क्रिया की महत्ता और प्रतिक्रमण के हेतु
प्रतिक्रमण शब्द आवश्यक क्रिया का सूचन करता है। आवश्यक शब्द के
अर्थ करते समय बताया है की साधु और श्रावक को अवश्य करने योग्य वह
आवश्यक अथवा ज्ञानादि गुणों को और मोक्ष को हर प्रकार से वश करे वह
आवश्यक है। प्रतिक्रमणादि आवश्यक क्रियाए श्रुतकेवली चोदहपूर्वधर महापुरुषोंने बतायी
है और स्वयं जीवन में आचरण किया है उसके बाद में हुए सभी सुविहित महापुरुषोंने
उसको ही आगे करके उनकी महत्ता बतायी है। अध्यात्मसार ग्रंथ में पू. उपा. श्री
यशोविजयजी महाराजाने बताया है -