"Jainology ज्ञान मीमांसा" पुस्तक में जैनधर्म के विशिष्ट जैन सम्मत
ज्ञान की चर्चा की गई है। ज्ञान का स्वरूप, ज्ञान के भेद-प्रभेद,
कौन-सा ज्ञान किसे होता है? ज्ञान की कितनी पर्याय होती हैं?
श्रुतज्ञानी और केवलज्ञानी में क्या समानता होती है? इत्यादि विभिन्न
विषयों का अनेक दृष्टान्तों और सुन्दर भावपूर्ण चित्रों के साथ समाधान
किया गया है। इस पुस्तक में ज्ञान के अनेक पक्षों का साधारण जन की
प्रज्ञा के अनुसार सरल एवं क्रमबद्ध रीति से चित्रमय प्रस्तुतीकरण
किया गया है। ज्ञान के विषय में इस प्रकार का रंगीन चित्रमय
प्रकाशन जैन साहित्य में प्रथम प्रयास है।