यह ऊन से बना हुआ है और इसका मानक आकार 1 हाथ चौड़ा और 1.3 हाथ लंबा होता है। पृथ्वीकाय और वायुकाय जीवों की रक्षा के लिए आसन का उपयोग किया जाता है, जिससे भूमि पर बैठने से होने वाली अनजाने में हिंसा रोकी जा सके। इसलिए, बिना आसन के भूमि पर नहीं बैठा जाता। भगवान महावीर ने हमें सूक्ष्मतम अहिंसा का मार्ग दिखाया है, और "जीओ और जीने दो" का संदेश इसी सिद्धांत का प्रतीक है।
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