यह अष्टमंगल लकड़ी की पट्टी उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी से बनी एक पारंपरिक और आध्यात्मिक वस्तु है, जिसे मुख्य रूप से दरवाजों पर लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह न केवल सौंदर्य में वृद्धि करती है, बल्कि आपके घर, मंदिर या कार्यस्थल में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।
अष्टमंगल – जैन धर्म के 8 शुभ प्रतीक
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स्वस्तिक – शांति, समृद्धि और मंगलकामना का प्रतीक।
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श्रीवत्स – आध्यात्मिक सौंदर्य और हृदय की पवित्रता को दर्शाता है।
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नंध्यावर्त – नौ कोनों वाला स्वस्तिक, जो भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाता है।
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वर्धमानक – संपन्नता, पुण्य और यश में वृद्धि का प्रतीक।
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सिंहासन – भगवान जिनेंद्र के चरणों से पवित्र हुआ दिव्य आसन।
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कलश – शुभता और पवित्रता का प्रतीक, जो धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है।
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मीनयुगल – जिनेन्द्र भगवान की वंदना करने वाले श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक।
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दर्पण – आत्मचिंतन और सच्चे स्वरूप की पहचान का प्रतीक।