जैन धर्म मे जैन साधु-संत चप्पल को उपयोग में नहीं लेते, परंतु मिट्टी की सडकों का लगातार सीमेन्ट की रोड में होता हुआ रूपांतर और हर साल बढ़ती हुई भीषण गर्मी में यात्रा करना कठिन हो चूका है। उसी के चलते साधु संत को संघ के आग्रह से चप्पल रूपी आवरण वापरने की याचना की।
यह चप्पल कपडे से बनी हुई है। जिस से पर्यावरण का भी नुकसान नहीं होता और ना ही किसी जिव को कष्ट होता है।
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